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कविता

बच्चे एक दिन

अशोक वाजपेयी


बच्चे
अंतरिक्ष में
एक दिन निकलेंगे
अपनी धुन में,
और बीनकर ले आएँगे
अधखाए फलों और
रकम-रकम के पत्थरों की तरह
कुछ तारों को।

आकाश को पुरानी चाँदनी की तरह
अपने कंधों पर ढोकर
अपने खेल के लिए
उठा ले आएँगे बच्चे
एक दिन।

बच्चे एक दिन यमलोक पर धावा बोलेंगे
और छुड़ा ले आएँगे
सब पुरखों को
वापस पृथ्वी पर,
और फिर आँखें फाड़े
विस्मय से सुनते रहेंगे
एक अनन्त कहानी
सदियों तक।

बच्चे एक दिन...


 

 


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